संशोधन/शोध आलेख/शोध निबंध |
अ. क्र. |
शोध आलेख |
पत्रिका एवं 'किताब का नाम |
प्रकाशन वर्ष |
1. |
शौक से नहीं, विवशता से घूमती है घूमंतु जनजातियाँ |
विशेष अंक विवेक रिसर्च जर्नल कोल्हापुर ISSN – 2249-295X |
मार्च 2022 |
2. |
भारतेंदु और नवजागरण |
विशेष अंक विवेक रिसर्च जर्नल कोल्हापुर ISSN – 2249-295X |
जून 2021 |
3. |
वर्चुअल रियॅलिटी की कथा: एक सच्ची झूठी गाथा |
विवेक रिसर्च जर्नल कोल्हापुर ISSN – 2249-295X |
जनवरी 2021 |
4. |
संदर्भ स्रोतों का सामान्य परिच |
प्रयोजनमूलक हिंदी |
2021-22 |
5. |
इक्कीसवीं सदी में हिंदी भाषा और सूचना प्रौद्योगिकी का विकास |
हिंदी भाषा और साहित्य : प्रयोजनात्मक चरण |
2021-22 |
6. |
सूचना प्रौद्योगिकी : दूरसंचार और अनुवाद |
हिंदी भाषा और साहित्य : प्रयोजनात्मक चरण |
2021-22 |
7. |
अंतिम साक्ष्य: पात्र या चरित्र चित्रण तथा संवाद |
विधा विशेष का अध्ययन |
2021-22 |
8. |
कविता, कहानी तथा यात्रा वृत्तांत लेखनः स्वरुप, महत्व तथा उपयोगिता |
सृजनात्मक लेखन और व्यावहारिक लेखन |
2019 - 2020 |
9. |
जनसरोकार की प्रखर अभिव्यक्ति: बाबा नागार्जुन |
आधुनिक हिंदी कविता के विविध आयाम |
2019 |
10 |
उच्च शिक्षा में गुणवत्ता विचार |
Development of Quality Culture in HEIs |
मार्च 2019 |
11. |
भारत में उच्च शिक्षा की चुनौतियाँ |
AQAR and Academic and Administrative Audit in Resaved Assessment and Accreditation farmwork
|
दिसंबर 2018 |
12. |
रोजगारोन्मुखी हिंदी का वर्तमान परिदृश्य |
हिंदी और रोजगार |
अक्तूबर 2018 |
13. |
वैश्वीकरण की भाषा हिंदी |
Impact of Globalization on Language, Literature, Education, Social Science, Library, Environment , Sports and Games
|
मार्च 2018 |
14. |
भारत में उच्च शिक्षा की संभावनाएँ |
Electronic International Interdisciplinary Research Journal (EIIR)
|
मार्च 2018 |
15. |
हिंदी भाषा और इंटरनेट: स्थिति और गति |
राष्ट्रवाणी |
फरवरी - मार्च 2018 |
16. |
हिंदी भाषा का अंतर्जालीय परिदृश्य |
विद्यावार्ता |
फरवरी 2018 |
17. |
हिंदी कविता में उपेक्षित समाज |
हिंदी कथा साहित्य में उपेक्षित समाज |
फरवरी 2018 |
18. |
तकनीकी पहल का बेबाक बयानः जानकीदास तेजपाल मैनशन |
21वीं सदी का हिंदी साहित्य: नव विमर्श |
2018 |
19. |
माँ की तलाश करती मुनव्वर राना की गजल |
विद्यावार्ता |
दिसंबर 2018 |
20. |
टूटते सपनों का कडुआ सच: जानकीदास तेजपाल मैनशन |
भूमंडलीकरण और हिंदी साहित्य |
2018 |